
अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। ये वही संगठन है जिसे भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “सही दिशा में ठोस कदम।”
चीन का जवाब: “हम टेरर के खिलाफ हैं, लेकिन नाम लेने से बचते हैं”
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक बेहद डिप्लोमैटिक और WFH टोन में प्रतिक्रिया दी:
“चीन सभी तरह के आतंकवाद का कड़ा विरोध करता है…”
लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने TRF का नाम तक नहीं लिया। यानी टेररिज़्म बुरा है, पर पड़ोसियों से रिश्ते ज़्यादा नाज़ुक हैं।

पहलगाम हमला बना मुद्दा, TRF पर आरोप तय
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 7 मई को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि TRF सीधे तौर पर पहलगाम हमले के पीछे था। सवाल ये है — TRF ने अब तक कोई Spotify प्लेलिस्ट तो जारी नहीं की, लेकिन दुनिया भर की सरकारें इसकी निंदा कर चुकी हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: “बिलकुल सही फैसला, आगे भी सख्ती चाहिए”
भारत ने इस कदम को सुरक्षा नीति में साझेदारी का संकेत बताया। एस जयशंकर ने कहा कि यह भारत-अमेरिका की सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करता है।
चीन का क्लासिक रुख: “सबसे जरूरी है क्षेत्रीय स्थिरता”
चीन ने हमेशा की तरह ‘संयुक्त सहयोग’ और ‘क्षेत्रीय स्थिरता’ जैसी शब्दावली का उपयोग किया। यानि न समर्थन, न विरोध — बस “नीतिगत तटस्थता” और थोड़ी बहुत “संवेदनशीलता”।
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